यह सच है कि हम कुछ चिजों को नहीं बदल सकते हैं : ग्रहों की गति, मौसम के परिवर्तन, समुद्र और ज्वार भाटा का आक्रषण , और सूर्य का उगते और डूबते हुये दिखना | न ही हम किसी दूसरे के मन और विचार को बदल सकते है – लेकिन हम खुद को बदल सकते है | आपकी मानसिक गतिविधि, कल्पना और आपकी इच्छा शक्ति को कौन रोक सकता है या कौन बाधित कर सकता है ? सिर्फ आप ही किसी दूसरे को यह शक्ति दे सकते है | आप अपने मस्तिष्क का नवीनीकरण करके कायाकल्प कर सकते हैं | कायाकल्प तब शुरू होता है, जब हम उन गुणों पर मनन करते है, सोचते है और अपनी मानसिकता में सोखते हैं, जिनका हम अनुभव करना चाहते है और जिन्हें हम वक्त करना चाहते है |
क्या आप भी भाग्य पर विश्वास रखते है | दो तरह के लोग होते हैं, एक वे जो भाग्य पर भरोसा करते हैं और दूसरे वे जो कर्म पर भरोसा करते हैं। भाग्य पर भरोसा करने वाले लोग हर परिणाम को भाग्य का ही फल मानते हैं।
अपने आप पर भरोसा करने के लिए कोई और महत्वपूर्ण नहीं है। कभी-कभी हम गलती करने के बाद या किसी के कठोर या लगातार आलोचना करने के बाद खुद पर भरोसा खो देते हैं। जब आप अपने आप पर भरोसा नहीं कर सकते हैं तो निर्णय लेना अधिक कठिन हो सकता है क्योंकि आपको डर है कि आप गलत चुनाव नहीं करेंगे। या आप अपने निर्णय लेने के बाद अपने स्वयं के निर्णयों की आलोचना करने के लिए अधिक प्रवण हो सकते हैं। यदि आप भी भाग्य पर विश्वास करते हैं तो आइये देखते है, दुनिया का भाग्यशाली लोग जिसका जीवन कैसे बदल गया कुछ छन में |
दुनिया के सबसे ज्यादा भाग्यशाली लोग मौत को भी दे चुके हैं मात
- जूलियन कोएप्के : जूलियन कोएप्के का जन्म 10 अक्टूबर 1954 लीमा पेरु मे हुया था |1971 मे एक किशोर के रूप मे, कोएप्के LANSA फ्लाइट 508 विमान से सफर कर रही थी, जो विमान दुर्घटना ग्रस्त हो गया जिसमे 92 यात्री यात्रा कर रहे थे | जूलियन कोएप्के यात्रियों और चालक दल के सदस्यों मे से एकमात्र जीवित व्यक्ति थीं, जो पेरु के जंगलो 9 दिनो तक भटकती रही | जूलियन कोएप्के दुनिया का भाग्यशाली है जिसकी जन बच गई |

2. बिल मार्गन : क्या आपने कभी बिल मॉर्गन नामक व्यक्ति के बारे में सुना है? वह एक ऑस्ट्रेलियाई ट्रक चालक है जिसने निश्चित रूप से अपनी बुरी किस्मत का हिस्सा देखा है – मुझे यह कहना है कि उसकी किस्मत सिर्फ फ्रेंक सेलाक से भी बदतर हो सकती है – मोर्गन वास्तव में 14 मिनट के लिए मर गया था | 1999 में, बिल मॉर्गन को दुर्भाग्य की दोहरी खुराक मिली जब उन्हें एक बड़े पैमाने पर दिल का दौरा पड़ा और एक बड़े पैमाने पर ट्रक का सामना करना पड़ा, और परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई। खैर, उन्हें 14 मिनट के लिए चिकित्सकीय रूप से मृत घोषित कर दिया गया था, जिसके बाद डॉक्टरों ने उनके दिल को फिर से पंप करने में सक्षम थे।
उस अवधि के दौरान, एक व्यक्ति को गंभीर मस्तिष्क क्षति हो सकती है और यहां तक कि वनस्पति अवस्था में भी हो सकता है। जब बिल को पुनर्जीवित किया गया, तो यह प्रकट हुआ कि वह एक वनस्पति राज्य में था। वह अनुत्तरदायी था और अगले बारह दिनों के लिए एक गहरे कोमा में था।
उन बारह दिनों के भीतर, डॉक्टरों ने उनके परिवार को सिफारिश की कि वे बिल के जीवन समर्थन को बंद कर दें – दो बार, लेकिन सौभाग्य से, वे नहीं किया। उन बारह दिनों के बाद, वह अपने कोमा से बाहर आया, वह पूरी तरह से ठीक था और पूरे अग्नि परीक्षा से किसी भी गंभीर जटिलता का सामना नहीं करना पड़ा। जीवन के इस नए पट्टे के साथ, ज़िंदा रहने के लिए भाग्यशाली, और नए लगे हुए, उन्होंने अपनी किस्मत आज़माने और एक स्क्रैच-लॉटरी लॉटरी टिकट खरीदने का फैसला किया। जब उन्होंने टिकट को खरोंच किया, तो उन्होंने एक कार जीती जो $ 17,000 ऑस्ट्रेलियाई (आज $ 23,903 यूएस और $ 25,099 डॉलर) के बराबर थी।

3. एंड्रयू जैक्सन : एंड्रयू जैक्सन एक अमेरिकी सैनिक और राजनेता थे जिन्होंने 1829 से 1837 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के सातवें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने से पहले, जैक्सन ने संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना में एक सामान्य के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की और कांग्रेस के दोनों सदनों में सेवा की। जैक्सन के हत्यारे ने उस पर पिस्तौल से गोली मर दिया, परंतु निशाना चूक गया | जैक्सन ने थोड़ी संघर्ष में अपना बचाव किया और उस आदमी ने दूसरी पिस्तौल से गोली चालाई इसका नीसान भी चूक गया | जैक्सन भाग्यशाली थे जो गोली नहीं लगा |

4. मोहम्मद बशीर अब्दुल खाड़ा : मोहम्मद बशीर अब्दुल खाड़ा भारत का यात्री दुबई से अमीरात के लिए हवाई जहाज मे सफर करने वाला था | दुबई एयर पोर्ट पर हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया और आग की लपटों में फंस गया जिसमे अब्दुल खाड़ा बच निकाला | दुबई एयर पोर्ट से बाहर निकल रहे थे और जाने से पहले उन्होने दुबई डयूटी फ्री मिलेनियम मिलियनेयर लॉटरी का टिकट खरीदा | उसी लॉटरी टिकट से जीतने के बाद एक करोड़पति बन गए |

5. फ्रेन सेलक : 1962 में, क्रोशिया के फ्रेन सेलक ट्रेन से यात्रा कर रहे थे जो कि एक जमी हुई नदी में गिर गई, जिसमें 17 लोगों की मृत्यु हुई थी। हालांकि वह बच गए, मौत के साथ उनकी दौड़ बस शुरु हो चुकी थी। अगले साल, सेलक एक प्लेन दुर्घटना के शिकार हुए जिसमें जहाज का दरवाज़ा खुल गया और वह बाहर गिर गए, लेकिन घास के ढ़ेर पर गिरने के बाद वह किसी तरह बच गए। 2003 में आखिरकार उनकी किस्मत ने उनका साथ दिया, जब फ्रेन ने करीब $1 मिलियन की लॉटरी जीती। उन्होंने इसमें से ज्यादातर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को दे दिया।

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अरुणिमा सिन्हा : अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश में जन्म लेने वाली अरुणिमा सिन्हा के जन्म दिन की तारीख 20 जुलाई 1988 है. इनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश से ही पूरी हुई थी. उसके बाद अरुणिमा सिन्हा ने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग कोर्स किया था. हालांकि इनको पढ़ाई-लिखाई से ज्यादा खेल कूद रुचि थी. इन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल भी खेला है, हालांकि ये वॉलीबॉल एवं फुलवाल दोनों की अच्छी खिलाड़ी थी. इसके लिए अरुणिमा सिन्हा ने काफी प्रैक्टिस भी की थी.
- सीआईएसएफ की परीक्षा में शामिल होने के लिए अरुणिमा को दिल्ली जाना था. 21 अप्रैल 2011 को अरुणिमा ने लखनऊ से दिल्ली जाने वाली ट्रैन पद्मावती एक्सप्रेस से अपना सफर तय करने का निर्णय लिया. जब अरुणिमा लखनऊ से निकली तो ट्रैन में सफर के दौरान कुछ बदमाशों ने इनसे सोने की चेन एवं बैग छुड़ाने की कोशिश की. जब अरुणिमा ने इन बदमाशों या चोरों का विरोध किया तो बदमाशों ने अरुणिमा को चलती ट्रैन से नीचे फेक दिया. अरुणिमा के एक इंटरव्यू के अनुसार “अरुणिमा जब नीचे गिरी तो इन्होंने देखा कि दूसरे ट्रैक पर भी एक ट्रैन आ रही है. लेकिन जब तक अरुणिमा खुद को पटरी से हटा पातीं, ट्रैन इनके पैर को कुचलते हुई आगे बढ़ गई. अरुणिमा के अनुसार इसके बाद की घटना उनको याद ही नहीं हैं .” लोगों द्वारा बाद में बताया गया था कि ये हादसा रात में हुआ था और इनके पैर के ऊपर से लगभग 49 ट्रैन निकली थीं.
- उसके बाद गांव के लोगों द्वारा अरुणिमा को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टर्स ने इनकी जान बचाने के लिए इनके एक पैर को काट दिया. जिससे अरुणिमा की जिंदगी तो बच गई लेकिन इन्हें अपना एक पैर गवाना पड़ा. यह एक खिलाड़ी के लिए दुनिया के सबसे बड़े सदमे से कम नहीं आंका जा सकता. इस घटना ने अरुणिमा को बहुत बड़ा झटका दिया था, अरुणिमा सिन्हा से किस्मत ने भारत के लिए वॉलीबॉल खेलने का मौका छीन लिया था.
- अरुणिमा को भारत सरकार की तरफ से 2015 में पदमश्री नाम के पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि भारत का चौथा सबसे बड़ा सम्मान है. पदमश्री पुरस्कार को भारत में किसी एक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले इंसान को दिया जाता है.
- अरुणिमा को वर्ष 2016 में तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड भी दिया गया. इस पुरस्कार को भारत में दिये जाने वाले अर्जुन पुरस्कार के समान माना जाता है, जो कि खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले को दिया जाता है.
- इसके अलावा के भी इन्हें राज्य स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है. इसी साल इनके द्वारा दिए गए योगदान को देखते हुए अरुणिमा सिन्हा कोप्रथम महिला पुरस्कार से सन् 2018 में सम्मानित किया गया.
- उत्तर प्रदेश सरकार ने अरुणिमा के विकलांग होते हुए भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के जज्बे को सलाम किया और इनाम के तौर पर 25 लाख चेक दिया गया था. जिसमें भारत की केंद्र सरकार ने 20 लाख एवं 5 लाख समाजवादी पार्टी की तरफ से दिए गए थे.
7॰ वेस्ना वुलोविक (Vesna Vulovic ) का जन्म जन्म 3 जनवरी 1950 बेलग्रेड, पीआर सर्बिया, एफपीआर यूगोस्लाविया में हुई थी, अपना कैरियर बतोर फ्लाइट अटैंडेंट के रूप मे कर रही थी| 26 जनवरी 1972 को जाट फ्लाइट 367 मे रोज की तरह अपने कार्य कर रही थी, उनको यह ग्यात नहीं था की इस फ्लाइट मे आतंकवादी के द्वारा ब्रीफकेस बम राखी हुई है नतीजा यह हुया कि बम 10160 मीटर कि उचाई पर फुट गया जिसमे से विमान में सवार सभी यात्रियों की मौत हो गई थी, सिवाए एक के। वह थीं फ्लाइट अटैंडेंट वेस्ना वोलोविक। वोलोविक ने अपनी जन हथेली पर रख कर बिना पैराशूट पहने फ्लाइट से कूद गई थी | वुलोविक ने कोमा में कई दिन बिताए और कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहीं । इस दुर्घटना के बाद उड़ान भरने के बारे में कोई योग्यता नहीं थी। फ्लाइट अटेंडेंट के रूप में काम फिर से शुरू करने की इच्छा के बावजूद, जाट एयरवेज (जेएटी) ने उसे एक डेस्क जॉब दिया | बिना किसी सुरक्षा के सबसे लंबी छलांग लगाने के लिए उसका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है
